हरियाणा का इतिहास: प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक युग
हरियाणा भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य प्राचीन काल से ही राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां हम हरियाणा के इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक युग में विभाजित करके विस्तार से समझेंगे।
1. प्राचीन काल में हरियाणा
हरियाणा का इतिहास वैदिक काल तक जाता है। इसे "देवताओं की भूमि" भी कहा जाता है क्योंकि ऋग्वेद और महाभारत जैसे ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
महाभारत में हरियाणा की भूमिका
हरियाणा का कुरुक्षेत्र महाभारत युद्ध का प्रमुख स्थल था। माना जाता है कि इसी भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। कुरु और पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) के निकट होने के कारण यह क्षेत्र हमेशा से ही राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है।
वैदिक सभ्यता का केंद्र
- सरस्वती नदी के किनारे कई प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं।
- हरियाणा को ऋषियों और मुनियों की भूमि माना जाता था।
- पौराणिक काल में इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, कुरुक्षेत्र और मद्र देश कहा जाता था।
2. मध्यकालीन हरियाणा
मध्यकाल में हरियाणा कई शासकों के अधीन रहा। इस काल में यहाँ कई महत्वपूर्ण युद्ध और राजनीतिक घटनाएँ घटीं।
प्रमुख शासक और युद्ध
- तोमर वंश (8वीं से 12वीं शताब्दी) – दिल्ली और हरियाणा पर तोमर राजाओं का शासन था।
- तराइन का युद्ध (1191-1192) – पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी के बीच तराइन (कुरुक्षेत्र) में दो युद्ध हुए। पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी रहे, लेकिन दूसरे युद्ध में मोहम्मद गोरी ने जीत हासिल की।
- दिल्ली सल्तनत (1206-1526) – खिलजी, तुगलक और लोदी वंश ने हरियाणा पर शासन किया।
- मुगल साम्राज्य (1526-1707) – मुगलों के शासनकाल में हरियाणा एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक क्षेत्र था। पानीपत में तीन ऐतिहासिक युद्ध लड़े गए।
पानीपत के तीन युद्ध
- पानीपत का पहला युद्ध (1526) – बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
- पानीपत का दूसरा युद्ध (1556) – अकबर की सेना ने हेमू को हराकर दिल्ली पर कब्ज़ा किया।
- पानीपत का तीसरा युद्ध (1761) – अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ, जिसमें मराठों की हार हुई।
3. आधुनिक हरियाणा और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
ब्रिटिश शासन के दौरान हरियाणा के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1857 की क्रांति में हरियाणा
- झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी और हिसार के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
- राव तुलाराम (रेवाड़ी) ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और अफगानिस्तान में जाकर समर्थन मांगा।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के योद्धा
- लाला लाजपत राय – स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता, जिन्होंने साइमन कमीशन का विरोध किया।
- चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह और राजगुरु ने भी हरियाणा में क्रांतिकारी गतिविधियाँ चलाईं।
- महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में हरियाणा के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
4. हरियाणा का गठन (1 नवंबर 1966)
स्वतंत्रता के बाद हरियाणा पंजाब का हिस्सा था। लेकिन भाषा और सांस्कृतिक भिन्नता के कारण एक अलग राज्य की माँग उठी।
हरियाणा के गठन की प्रक्रिया
- 1955 में फाजिल्का सत्याग्रह में हरियाणा को अलग राज्य बनाने की माँग उठी।
- 1966 में सरकार ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम पारित किया।
- 1 नवंबर 1966 को हरियाणा को पंजाब से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया।
- चंडीगढ़ को हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी बनाया गया।
निष्कर्ष
हरियाणा का इतिहास गौरवशाली और प्रेरणादायक है। यह राज्य प्राचीन वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक भारत की राजनीति, युद्ध, स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक धरोहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। महाभारत के युद्ध से लेकर पानीपत के ऐतिहासिक युद्धों और 1857 के संग्राम तक, हरियाणा ने हमेशा वीरता और बलिदान का परिचय दिया है। 1966 में एक अलग राज्य बनने के बाद, हरियाणा आज भारत के सबसे विकसित और समृद्ध राज्यों में से एक बन चुका है।
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